एक सपना ऐसा भी था, वो बार-बार आते थे, हम आँख मिचौली करके, कुछ करार पाते थे। सांसें महका करती थीं, वो खुशबु वार जाते थे, इक नई सुबह देकर। वो रोज जीत जाते थे, हम रोज हार जाते थे।। #jeethar Roshni Vijaya Singh