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एक सपना ऐसा भी था, वो बार-बार आते थे, हम आँख मिचौल

एक सपना ऐसा भी था, वो बार-बार आते थे,
हम आँख मिचौली करके, कुछ करार पाते थे।
सांसें महका करती थीं, वो खुशबु वार जाते थे,
इक नई सुबह देकर।
वो रोज जीत जाते थे, हम रोज हार जाते थे।। #jeethar Pooja Yadav Roshni  Huma Khan Vijaya Singh Rupam rajbhar
एक सपना ऐसा भी था, वो बार-बार आते थे,
हम आँख मिचौली करके, कुछ करार पाते थे।
सांसें महका करती थीं, वो खुशबु वार जाते थे,
इक नई सुबह देकर।
वो रोज जीत जाते थे, हम रोज हार जाते थे।। #jeethar Pooja Yadav Roshni  Huma Khan Vijaya Singh Rupam rajbhar
pritam3158882477309

#pritam!

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