ये सर्द रातें जिसमें जम चुका है ख़ून तक उसमें जम क्यों नहीं जाती तेरी यादें जला दिया है सारी खिड़की, दरवाज़े तोड़ फ़िर क्यों जला नहीं देता तेरा खत, तेरी तस्वीरें? ये सर्द रातें जिसमें थम चुका है सब शोर पर खामोश क्यों नहीं होते तेरे दिल पर चोट करते अल्फ़ाज़। ये सर्द रातें सिकुड़ गया है जिस्म अकड़ गया है बदन पर आज़ाद, क्यों नहीं हो जाता रूह? ये सर्द रातें जिसमें तेरी तलब जगाए रखती है रात भर ख़त्म क्यों नहीं हो जाता इंतजार? #love #hurt #cold