जो इबादत कुबूल करे वो इश्क़-ए-खुदा मेरी, रहमत में पा लूं मुट्ठी भर सुकून, गर कमबख्त इस जिस्म से रूह कर दे,वो रिहा मेरी ।। #शायरी #दुआ