कहां आ गए हम? ज़िन्दगी का ये कैसा मोड़ है? भीड़ है हर ओर, हर तरफ शोर है, फ़िर भी दिल बैठा है बेचारा तन्हा सा, ये बुझी बुझी सी सांस लिए, मैं ही हूं या कोई और है? मेरे अपने भी मसरूफ़ है अपने में ही, ध्यान कहां किसी का भी मेरी ओर है? कहता है ज़माना छट जाता है अंधेरा, फिर कहां है खोई? सदियों से लुप्त मेरी भोर है। ♥️ Challenge-656 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।