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अन्तराल ज़िन्दगी के कुछ किरदार अब नही रहे । वे तम

अन्तराल

ज़िन्दगी के कुछ किरदार अब नही रहे ।
वे तमाम कारोबार अब नही रहे ।

जो पलके कभी भींग जाते थे ,
नज़रों में वे मौसम अब नही रहे ।

क्या अज़ाब था मेरे रूह मे बसा ,
दर्द से मुलाकातें भी अब नही रहे ।

ये ज़िन्दगी के रंग अब फिके ही सही ,
वे पहले से नौ-बहार अब नही रहे।

लहरें थम गयी ज़िन्दगी के साहील में ,
कीनारो से लौटने की वजह अब नही रहे ।

टुटा , छुटा , बीखरा हुआ ईक शायर हुँ ,
दर्द-ए-दास्ताँ के सीवा कुछ अब नही रहे ।


 #The ghazal of RAG
#अन्तराल
#yqdidi #yqbaba  #yqquotes #yqghazal #yqhindi #yqpoetry
अन्तराल

ज़िन्दगी के कुछ किरदार अब नही रहे ।
वे तमाम कारोबार अब नही रहे ।

जो पलके कभी भींग जाते थे ,
नज़रों में वे मौसम अब नही रहे ।

क्या अज़ाब था मेरे रूह मे बसा ,
दर्द से मुलाकातें भी अब नही रहे ।

ये ज़िन्दगी के रंग अब फिके ही सही ,
वे पहले से नौ-बहार अब नही रहे।

लहरें थम गयी ज़िन्दगी के साहील में ,
कीनारो से लौटने की वजह अब नही रहे ।

टुटा , छुटा , बीखरा हुआ ईक शायर हुँ ,
दर्द-ए-दास्ताँ के सीवा कुछ अब नही रहे ।


 #The ghazal of RAG
#अन्तराल
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