बस इतनी सी ख्वाहिश है, आसमा से चाँद तोड़ लाऊं मै। तारे बिखेर दूं जमी पर और छूकर उन्हें उन्हीं सा हो जाऊं मैं। ओढ़कर रात का आँचल बुनूं कुछ हसीं किस्से, फिर वही किस्से दादी-नानी को सुनाऊँ मैं। गुलों की वादी में जाके रंगू तितलियों के पर पंछियों को उड़ना सीखाऊं मैं। बस इतनी सी ख्वाहिश है, आसमा से चाँद तोड़ लाऊं मै । खिलूं फूल बनकर कभी डाली पे जो भँवरों के साथ मिलकर कोई गीत गाऊँ मैं। गिरुं पतझड़ के पत्तों सा जो टूटकर डाली से बैठ हवाओं के कांधे पर बादलों के पार जाऊं मैं। बस इतनी सी ख्वाहिश है, आसमा से चाँद तोड़ लाऊं मै। #chand #MondayMotivation #Nojoto #poetry #kavitakosh #Kwahisen #Nojotopost #Nojotokhabri