काली घनेरी रात जिसमें प्रभु जन्म लियो आप , रचाई तुमने ऐसी लीला खुल गए सब कारावास | देवकी और सब सैनिक पड़े हुए थे निस्तेज, बाहर बरखा आंधी और नदी में वेग तेज़ || वासुदेव चले गोकुल को सर पर रख कर तुमको , छू चरण कमल नदी वेग ने किया नमन तुमको | पहुंच गोकुल धाम भये यसोदा नंदन तुम , रंग भरी लीला कर के हर लेते सबका मन तुम | | प्यारी मनमोहक मीठी मुस्कान बिखेर, कर गए सहज कितने ही असुरों को ढेर | मिश्री माखन चुरा सोख से खाते और खिलाते , शरारत कर गोपियों की मटकी फोड़ सताते || मीठी बांसुरी ताान छेड़ कर कृष्ण सांवरे , गईया , गोपाल, गोपियों के दिल होते बाँवरे | राधा संग मिलकर कान्हा तुम राधेकृष्ण कहाते , यमुना तट पर बैठ सांवरे राधा संग रास रचाते || वृन्दावन में चटक चांदनी सब गोपी की प्यास बुझाते , जन्मों से भटकी आत्माओ कान्हा तुम मोक्ष पहुंचाते | अद्भुत शुद्ध प्रेम प्रणय का कान्हा तुम पाठ पढाते , अंतर आत्मा में बसकर शारीरिक मोह को मिटाते || कान्हा , कृष्णा मनमोहक मनोहर तुम सबके , जीवन का हमको हर पल हर क्षण पाठ पढ़ाते | विपरीत परिस्थियों में भी सबको खुशियां देना, साक्षी भाव में रहकर सामुहिकता में जीना || काली घनेरी रात में प्रभु हम सबको जीना सिखाते..... "किरन " krishan janmastmi #krishan Leela #krishan janamastmi