ऐ लड़खड़ाते हुए मुसाफिर, जरा संभल जा. तू मंजिल को देख, निचे मत देखना, मर जाती है ख्वाबे यहां, मरे हुए ख्वाबो को देखकर. क्योंकि आज जहाँ खड़ा है तू, यह ख्वाबो का कब्रिस्तान है. ©Sujeet Kumar # डिअर लाइफ