तलाश_खुद_की मुस्कुराते -मुस्कुराते इतने दूर आ गए हैं, जैसे खुद को कही छिपा से गए है काश फ़िर कोई वजह मिल जाए हमे खुद को तलाशने का ठिकाना मिल जाए यू तो रोज मुस्कुराते है, पर इस चेहरे के पीछे , छिपी खामोशी को , फ़िर कोई वजह मिल जाए ! नाराजगी के दौर में शामिल किये जाएगे, खुद को खुदी में तलाश किए जाएगे! वक्त भी अब गुनाहगार ना रहा हमारा , जिन इलजामो का एक दौर ठहरा -सा है , और उन्हे इस बात का ख्याल तक ना रहा , जो बात बात पर ठहर जाने को कहते है ! आज अजनबी -सी मुलाकात हुई है, शायद खुद से नजरें चुराई गई है ©priyanka jha तलाश_खुद_की मुस्कुराते -मुस्कुराते इतने दूर आ गए हैं, जैसे खुद को कही छिपा से गए है काश फ़िर कोई वजह मिल जाए हमे खुद को तलाशने का ठिकाना मिल जाए यू तो रोज मुस्कुराते है, पर इस चेहरे के पीछे ,