(मैं लोमड़ी कैसे हो सकता हूँ। ज़्यादा से ज़्यादा लूमड कह लो।)
अक्टूबर 2016 का अंतिम रविवार; मध्यरात्रि।इनबॉक्स में एक मैसेज़ बरामद होता है और संवाद् श्रृंखला कुछ यूँ चल निकलती है।
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वो-- Happy Deepavali
मैं-- वो क्या मनाये दीवाली
जिसकी फुलझड़ी उससे नाराज़ हो!
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