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दोस्तों मैनें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में कविता लि


दोस्तों मैनें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में कविता लिखी है
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"संविधान जरूरी है"
युवाओं के मन में कुछ अरमान जरूरी है
जवानी में उठने वाला तूफान जरूरी है।
जो रखते हैं माद्दा कुछ करने का दिल में
हौसलों में होना उनकी उड़ान जरूरी है।
दुश्मन पर तो सब नजरें रखते लेकिन
दोस्त बने हैं जो रखना उन पर ध्यान जरूरी है।
जो जीना चाहते हैं जिंदा दिल बनकर 
चेहरे पर उनके होना मुस्कान जरूरी है।
बिक कर जो अखबार है छपते भारत में
जन-जन को करना उनकी पहचान जरूरी है।
जो आतंकवादी माओवादी करते फिरते
उन झूठे देशभक्तों से होना सावधान जरूरी है।
और सीमाओं पर क्यों मरते सैनिक आखिर
राजनीति के खातिर उनकी जान जरूरी है।
आजादी के लिए जो झूले फांसी पर
उन शहीदों के लिए आंखों में सम्मान जरूरी है।
नोच नोच और बेच बेच खा गए देश को
उन गद्दारों का मिटना नामोनिशान जरूरी है।
राजनीति में धर्म को शामिल जो करते
उनके लिए बस हिंदू और मुसलमान जरूरी है।
और पैदा होते ही बन जाते हिंदू-मुस्लिम
पर सबसे पहले बनना इंसान जरूरी है।
मंदिर मस्जिद के झगड़ों का निपटारा
करने के लिए भी संविधान जरूरी है।

©Vijay Vidrohi
  #संविधानजरूरीहै