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नहीं टिकता एक जगह, ये मेरा बंजारा मन..! सोच विचा

 नहीं टिकता एक जगह,
ये मेरा बंजारा मन..!

सोच विचार की दुनिया में,
भटक रहा है रूह सा बन..!

गुज़र रहा है हर एक लम्हा,
याद कराता बीता बचपन..!

लालसा है ज़िन्दगी को ज़न्नत बनाने की,
कमाने को मोहब्बत का धन..!

आस काश में निकलता रहा,
ख़्वाहिशों का अनमोल रतन..!

डरते रहे यूँ मरते रहे,
करते रहे अपनों को ख़ुश करने के जतन..!

मिलता गया दर्द अधिक इतना,
तबाह हो गया दिल का वतन..!

©SHIVA KANT
  #akelapan #banjaraman