हुश्न है इश्क भी जश्न है रंज भी जख्म है भरे भरे दर्द है जरा जरा जिंदगी जल रही साँस है सुलग रही तेरे इंतज़ार में जागता हूँ रात भर करवटें बदलने का सच कहूँ तो मजा ही मजा है मजा ही मजा है । #माधवेन्द्र "साकेत"