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बदल रहा है इंसान, हवा के झोखों के साथ, मालूम नहीं,

बदल रहा है इंसान, हवा के झोखों के साथ,
मालूम नहीं, कौन सा उसका असल रूप है,
मतलब कराता है, अच्छा या बुरा व्यवहार अब तो,
मन के हर कोने में, कहीं छांव तो धूप है,,
बदल रही है मोहब्बत, इंसान की इंसानियत भी,
बदल रही है, अपनों को देखने की भी नज़र,
दौलत से तौले जाते हैं रिश्ते आज कल,
पड़ रहा है आदमी पर, वक्त का कैसा असर,,
यूं ही एक दिन सारी कायनात बदल जायेगी,
बदल जायेगा, इंसान का धर्म ओ ईमान,
कलियुग कहें या कहें काल का चंगुल,
कि बच नहीं पाया इससे एक भी इंसान,,,,, 👉🏻 प्रतियोगिता- 726
विषय 👉🏻 🌹"इंसान"🌹
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I

🌟कृपया font size छोटा रखें जिससे wallpaper ख़राब नहीं लगे और Font color का भी अवश्य ध्यान रखें ताकि आपकी रचना visible हो। 

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
बदल रहा है इंसान, हवा के झोखों के साथ,
मालूम नहीं, कौन सा उसका असल रूप है,
मतलब कराता है, अच्छा या बुरा व्यवहार अब तो,
मन के हर कोने में, कहीं छांव तो धूप है,,
बदल रही है मोहब्बत, इंसान की इंसानियत भी,
बदल रही है, अपनों को देखने की भी नज़र,
दौलत से तौले जाते हैं रिश्ते आज कल,
पड़ रहा है आदमी पर, वक्त का कैसा असर,,
यूं ही एक दिन सारी कायनात बदल जायेगी,
बदल जायेगा, इंसान का धर्म ओ ईमान,
कलियुग कहें या कहें काल का चंगुल,
कि बच नहीं पाया इससे एक भी इंसान,,,,, 👉🏻 प्रतियोगिता- 726
विषय 👉🏻 🌹"इंसान"🌹
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🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।