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जाने कितने चित्र बनाएं रेतों की दीवारों पर । अक्षर

जाने कितने चित्र बनाएं रेतों की दीवारों पर ।
अक्षर अक्षर लिखे मिटाए रेतों की दीवारों पर।।

शबनम से पैरों की पायल 
रातों से आंखों का काजल 
फूलों से छवि शोख़ अदा ली 
तारों से सतरंगी आंचल
जुल्फों में बादल लहराए 
रेतों की दीवारों पर।।

जैसे मेघ बरसता सावन 
जैसे भीगा सा चंदनवन 
जैसे खिलती धूप सुबह की 
जैसे रूप भरा हो दर्पण 
जैसे मधुबन रंग उड़ाए 
रेतों की दीवारों पर।।

सांसे मधुरिम मलय वात सी 
अरन अध़र अरु  कांति प्रात सी
चंद्रमणि के तन पर लिपटी 
केशराशि ज्यों प्रबल रात सी
पलकों पर सपने उतराए 
रेतों की दीवारों पर।।
 अक्षर अक्षर लिखे मिटाए
रेतों की दीवारों पर,,,,
 प्रमोद प्यासा एक गीत
जाने कितने चित्र बनाएं रेतों की दीवारों पर ।
अक्षर अक्षर लिखे मिटाए रेतों की दीवारों पर।।

शबनम से पैरों की पायल 
रातों से आंखों का काजल 
फूलों से छवि शोख़ अदा ली 
तारों से सतरंगी आंचल
जुल्फों में बादल लहराए 
रेतों की दीवारों पर।।

जैसे मेघ बरसता सावन 
जैसे भीगा सा चंदनवन 
जैसे खिलती धूप सुबह की 
जैसे रूप भरा हो दर्पण 
जैसे मधुबन रंग उड़ाए 
रेतों की दीवारों पर।।

सांसे मधुरिम मलय वात सी 
अरन अध़र अरु  कांति प्रात सी
चंद्रमणि के तन पर लिपटी 
केशराशि ज्यों प्रबल रात सी
पलकों पर सपने उतराए 
रेतों की दीवारों पर।।
 अक्षर अक्षर लिखे मिटाए
रेतों की दीवारों पर,,,,
 प्रमोद प्यासा एक गीत