हे गणेश गणपति गजानन मेरी पूजा तुझको अर्पण हे गौरीपुत्र ,शिव के नंदन बार-बार करुँ तेरा वंदन। प्रथम करूँ जो काज कोई तुमसे पहले और न कोई। प्रथम निमंत्रण तुम्हीं को जाता हर काज मेरा सफल हो जाता। तेरा नाम मुझे सफल बनाता दूजा मुझे कोई और न भाता। दर्शन तेरे सुबह-सवेरे बनते हैं सब काम बिगड़े। तू गजानन,तू ही एकदंत है तू अद्वितीय,तू ही अनंत है। हर वर्ष तू इसी तरह आना सबका जीवन सुलभ बनाना।। -राणा गणपति वंदन