गर निज कर्म तुम्हारा तुझसे,धर्म क्षरण की माँग रखे। आ आकर अधर्म भ्रमित कर,निज धर्म का स्वांग रचे। तुम ऐसे निजधर्म का बेशक,निः संकोच परित्याग करो। वो कर्तव्य ना श्रेयकर तेरा,ना असत्य की आग रचो। ©Ajay Amitabh Suman त्याग #Micro_Poetry #Laghu_Kavita #micro_blog #shayari #2liners #लघु_कविता #क्षणिका #शायरी