Nojoto: Largest Storytelling Platform

"शुभसँध्या बेला" 🙏सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में

"शुभसँध्या बेला"



🙏सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏 
"सिमट रहे है  पंख  पखेरू,
             अब  अपने  निवास  की ओर,
लौट रहा हैं वो मेहनतकश,
           शांति  चाहे  न  अब भाये  शोर,

तृष्णाओं के सागर में बह रही,
           सुभग  हो  साँझ  कुछ कह रही,
"शुभसँध्या बेला"



🙏सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏 
"सिमट रहे है  पंख  पखेरू,
             अब  अपने  निवास  की ओर,
लौट रहा हैं वो मेहनतकश,
           शांति  चाहे  न  अब भाये  शोर,

तृष्णाओं के सागर में बह रही,
           सुभग  हो  साँझ  कुछ कह रही,