संयोग कविता अनुशीर्षक में ©Neha Gulati Sabrang बहुत खोजने के बाद भी नहीं मिला मुझे तुम्हारा व्यक्तित्व, तुम्हारी छवि किसी और के शब्दों में संसार की सारी माएं ममता की मूर्त है फिर क्यों नहीं किसी और के ममता गान की लय में मैं तुम्हें गुनगुना ना पाई। कविताओं से दृष्टि हटाकर जब देखा तुम्हारी ओर