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13 Apr 23 5:20PM बनते बनते बिगड़ गई है मेरी जिंदगी

13 Apr 23
5:20PM
बनते बनते बिगड़ गई है मेरी जिंदगी,
कभी सपनों की उड़ान में उड़ती थी,
अपनी मंजिल की तलाश में धून्धती थी।

पर कुछ अंधेरों ने मुझे घेर लिया,
थक कर बैठ गयी मैं सारी उम्र तक,
बहुत कुछ डर के साथ जो में सहती रही।

खुशियाँ मुझसे भागती रही,
ख़बर तक नहीं होती थी,
मानो खुदा बिखरते जाता देखता नहीं था।

फिर एक दिन तुम्हारी मदद मिली,
सब ज़िन्दगी बदल गई थी।
नहीं थे अब सारे गम मेरे साथ मुझे लगता थी।

तुम्हारे साथ सब कुछ संभव लगता है,
तुमने मेरी जिंदगी में दिया नया रंग,
बनाई मेरे लिए आसान मेरी सारी तंगी।

अब मुझे नहीं लगता कुछ मुश्किल होगा,
जो भी बचा है मेरी जिंदगी में उसे संभाल लूंगी,
क्योंकि उसका विश्वास है तुम ही तो हो।
BeOriginal

©KhaultiSyahi #poetrymonth #BeOriginal #khaultisyahi #MyPoetry #mypoems #Poet #poem #poetcommunity #copyrightreservedbyKhaultiSyahi
13 Apr 23
5:20PM
बनते बनते बिगड़ गई है मेरी जिंदगी,
कभी सपनों की उड़ान में उड़ती थी,
अपनी मंजिल की तलाश में धून्धती थी।

पर कुछ अंधेरों ने मुझे घेर लिया,
थक कर बैठ गयी मैं सारी उम्र तक,
बहुत कुछ डर के साथ जो में सहती रही।

खुशियाँ मुझसे भागती रही,
ख़बर तक नहीं होती थी,
मानो खुदा बिखरते जाता देखता नहीं था।

फिर एक दिन तुम्हारी मदद मिली,
सब ज़िन्दगी बदल गई थी।
नहीं थे अब सारे गम मेरे साथ मुझे लगता थी।

तुम्हारे साथ सब कुछ संभव लगता है,
तुमने मेरी जिंदगी में दिया नया रंग,
बनाई मेरे लिए आसान मेरी सारी तंगी।

अब मुझे नहीं लगता कुछ मुश्किल होगा,
जो भी बचा है मेरी जिंदगी में उसे संभाल लूंगी,
क्योंकि उसका विश्वास है तुम ही तो हो।
BeOriginal

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