क्या खोया? क्या पाया? हिसाब ना कर चल उठ 'वीर' मन को अब तैयार कर 'लहू' बनकर दौड़ रहा है रग में तेरे जो उस वीर 'रक्त' का उचित सम्मान कर आशा से जो देख रहे 'पतित' लोग तुम्हें उनके दुःखों का समाधान भी तो तू कर सो गया है जो 'सिंह' कुछ इन हालतों में जगाकर उसे धरती का भार तू कम कर लाल तुम माँ 'भारती' के 'वीर' बहादुर हो कायरता दूर कर 'विरोचित' कर्म तू कर #rztask188 #rzलेखकसमूह #restzone #veer #वीर #वीररस #कविता #अल्फाज_ए_कृष्णा