वक़्त कोई भी हो, हमें उसी का ख़्याल आता है, हर-सू तन्हाई क्यूं है, ज़ेहन में ये सवाल आता है। ख़ुदाई न मानते उसकी बे-हिसी मोहब्बत को कभी, गर मालूम होता कि उसे तिज़ारत कमाल आता है। अरसा बीत गया, उसे हमारा मकां खाली किए, पर क्यों अब भी यादों में अक्सर उछाल आता है! जाओ, हमें न बताओ तूफ़ान-ए-हवादिस का सबब, तबस्सुम के तसव्वूर में ही हमारा ज़वाल आता है। अच्छा होता कि ये वबा हमें अपने साथ ले जाती, मकीन के बिना दिल में कहां जलाल आता है।। *बे-हिसी - without feeling *तिज़ारत - trade *तूफ़ान-ए-हवादिस - storm of misfortunes *तबस्सुम - smile *तसव्वूर - imagination *ज़वाल - decline (sunset) *वबा - epidemic *मकीन - inhabitant