शिकायत भी क्या शिकायत है, सब करतें है शायद रियायत है। हर कोई आमादा सब पाने को_ मुताबिक हो गया तो, इनायत है। कौन भला जिन्हें शिकायत नहीं है मरने वालों से भी शिकायतें रही है कौन वो जो ढेरों खुशियां ले गया_ जिंदगी का शायद फ़लसफ़ा यही है। इश्क कवायद भी शिकायत भी है ये बला खूब ओर निहायत भी है। कीजिये इसे ज़रा दिल सम्भाल के_ इस खूबसूरती में हदें हिदायत भी है। पी राय राठी राजस्थान #साहित्य_सागर #शिकायत भी क्या शिकायत है