दीवानों की भीड़ थी अब दो-चार हो गए लगता है सारे आशिक समझदार हो गए वो लोग जो जुबान से पलटते हैं बहुत वही झूठे अब रौनक-ए-बाजार हो गए बिताए थे मेरे साथ वो भी कुछ दिन फिर यूं हुआ कि वो हमसे बेजार हो गए पहले हम सुना करते थे आशिकों के किस्से वो मजनू अब कोठों पर खरीदार हो गए मेरे सच बोलने के एक ऐब की वजह से मेरे भी दुश्मन इस शहर में हजार हो गए तुमसे नहीं हो पाएगी अब आशिकी "महबूब" तुम भी तो अपने घर के जिम्मेदार हो गए #दीवाना #भीड़ #बेजार #खरीदार #हजार #जिम्मेदार #गुमनाम_शायर_महबूब #gumnam_shayar_mahboob