चुनाव से ठीक पहले दलबदल करने वाले नेता पार्टी से कदर विमुख हो जाते हैं जैसे उनका पार्टी से कोई संबंध रहा ही ना हो ऐसे में नेता जो केवल अपने परिवार के लिए ही राजनीति में दर्पण करते हैं मैं बहुत जल्दी पार्टी से संबंध विच्छेद कर लेते हैं ऐसे नेता चुनाव की घोषणा होते ही अपने फायदे अनुसार दल बदलने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं जैसा कि उनको आशा है कि अनुरूप फल की प्राप्ति हो सके यह लोग इस जुगत में लगा जाते हैं यह परिवार में कितने सदस्य को टिकट मिल सकता है अगर उचित परिश्रम नहीं मिल पाता तो वेतन बदलने के लिए बेचैन हो जाते हैं यह सोचने वाली बात है कि जो पार्टी लोगों को एक पहचान देने का काम करती है उसको सिर्फ निजी स्वास्थ्य के कारण क्षण क्षण भर में ही खत्म कर देती है ऐसे लोगों को अपने मान सम्मान का बिल्कुल भी ख्याल नहीं होता यह सिर्फ पार्टी में तब तक रहते हैं जब तक परिवार का भरण पोषण चलता है जहां परिवार के किसी सदस्य को टिकट नहीं मिला तो फिर पार्टी से अलग हो जाते हैं सबसे अच्छा लेख बात यह है कि किसी को दूसरी पार्टी बहुत ही जल्द ही लेती है भले ही इनको अपने पुराने कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करना पड़े जबकि पुराने कार्यकर्ताओं की अपेक्षा करने से पार्टी में असंतोष पैदा होता है लेकिन पार्टी अपने अंदर बागी उम्मीदवारों को रखने में अपना समझती है जबकि बाकी होता है ना कि शुभचिंतक ©Ek villain # बागी शुभचिंतक नहीं #hills