जाने कितना सोचते है हम पड़ोसी, लोग और समाज का। जाने क्यों तिल तिल मरते है हम समझौता कर लोगो की खुशी के लिए। जाने क्यों खुद को ही चोट पहुंचाते है हम सबके खुशी का सोच सोच कर। जाने कौनसी राह पकड़ जाते है हम अपनी ख्वाइशों को छोड़ कर। जाने किसके सपने जीये जाते है हम अपने सपनो का गला घोट कर। जाने क्यों साहस नहीं जुटा पाते है हम अपनी ऊंची उड़ान भरने के लिए। जाने क्यों, जाने क्यों, जाने क्यों। #सपने_अपने