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बंदगी थी कि वक्त एक सा नहीं था, और हम रोज सा ही अव

बंदगी थी कि वक्त एक सा नहीं था,
और हम रोज सा ही अवसर ढूंढ़ते थे,
थोड़ा सा वक्त पाने को।

©Daksh Jadaun काश
#dakshpoetry #dakshkibaatein #poem #self_written #poem✍🧡🧡💛
बंदगी थी कि वक्त एक सा नहीं था,
और हम रोज सा ही अवसर ढूंढ़ते थे,
थोड़ा सा वक्त पाने को।

©Daksh Jadaun काश
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