धुएँ सी उड़ चली है जिंदगी दो कश फूँक के मुँह से लगा लो हर खुशी हानिकारक है बेहद हो तो यूँ गम से भी थोड़ा वास्ता बना लो #आज_का_ज्ञान प्रकृति हर मोड़ पर एक शिक्षक की तरह पेश आती है । जब जब हम मनुष्यता की हद पार करते हैं , खुद को उससे दूर लिए जाते हैं , उसकी शालीनता और सहनशक्ति का फायदा उठाते हैं , उसके विश्वास के साथ छेड़ छाड़ करते हैं , उसे मजबूरन अपना विकराल रूप दिखाना पड़ता है , वापस राह पर लाने के लिए उसे हमें ना चाहते हुए भी सजा सुनानी पड़ती है । प्रकृति माँ है और माँ कभी अपने बच्चों का बुरा नहीं चाहेगी । निश्चित ही उसके ऐसे रूप की कोई कड़ी वजह रही होगी । पिछले दिनों फोनि ने हमारे ओड़िशा में गहरी छाप छोड़ी , मनुष्