|| गुप्तज्ञान दत्ताश्रयम् || सर्वेक हरिरूपातळी | सुख सदा लायिं हरिपूर्ण || सर्वेक धन्यता अमृतमयः | आश्रयीत चित्त भावपूर्णः || सेवेंसीं सदैविं लेई जीवनेच्छी | आत्मध्यान भाव तिया मनुः ||