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हिंदी के कुलदीपक.... भारतेंदु गिरिधर गोपालदास की

हिंदी के कुलदीपक.... भारतेंदु

गिरिधर गोपालदास की छत्रछाया में पले-बढ़े थे,
अल्पायु में ही दीखलाया चतुर्दिशा का हर एक बिंदु।
हिंदी, हिंदू ,हिंदुस्तान का उद्घोष किया,
कहलाये आधुनिक हिंदी के पितामह भारतेंदु।।

हिंदी भाषा की नींव रखी,
रीतिकालीन गलियारों से।
मातृभाषा की सेवा में लगे,
तन-मन-धन हृदय विकारों से।।

हिन्द के हिंदी कुलदीपक थे,
निज भाषा के अनमोल उद्घोषक थे।
अल्पायु में ही अमर हो गए,
ऐसे हिन्द के अमर हिंदी संयोजक थे।।

रचनाकार~ मंगल प्रताप चौहान हिंदी के कुलदीपक.... भारतेंदु
हिंदी के कुलदीपक.... भारतेंदु

गिरिधर गोपालदास की छत्रछाया में पले-बढ़े थे,
अल्पायु में ही दीखलाया चतुर्दिशा का हर एक बिंदु।
हिंदी, हिंदू ,हिंदुस्तान का उद्घोष किया,
कहलाये आधुनिक हिंदी के पितामह भारतेंदु।।

हिंदी भाषा की नींव रखी,
रीतिकालीन गलियारों से।
मातृभाषा की सेवा में लगे,
तन-मन-धन हृदय विकारों से।।

हिन्द के हिंदी कुलदीपक थे,
निज भाषा के अनमोल उद्घोषक थे।
अल्पायु में ही अमर हो गए,
ऐसे हिन्द के अमर हिंदी संयोजक थे।।

रचनाकार~ मंगल प्रताप चौहान हिंदी के कुलदीपक.... भारतेंदु