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बारिशो का नुकसान करना पड़ता है कश्ती में पूरा जहान

बारिशो का नुकसान करना पड़ता है
कश्ती में पूरा जहान करना पड़ता है
जब सितारा बनने की चाहत होती है
उससे पहले खुद को बेनाम करना पड़ता है

तुमने मुझे पा तो लिया 
संभालने में हड़बड़ी कर दी
उसने बस एक बूँद रखी थी जुदाई के बीच
मैं गुस्से में आया पूरी बारिश ज़मीन पर उतार दी

एक वक्त बाद रास्ता मोड़ना भूल जाता है
समुंद्र से नदी को जुड़ना पड़ता है
मत कैद किया करो अपने ऐश के लिए
बहुत वक्त बाद निकले तो पंछी पिंजरे से उड़ना भूल जाता है

समुंद्र समेत लेते है काँच भी मगर
मुश्किल तब जब दुनिया भी बिखरा होता है
जिसके एक दीदार के लिए एक उम्र गुजार दी
वह चेहरा थककर भी निखरा होता है
दर्द तो वो करते है जो बहुत छोटे और महीन होते है
दिखता वही है जो जख्म उभरा होता है

जरा सी एक तमन्ना है मेरी एक सूरत से मर जाते 
अगर सिर्फ साँस ली होती तो इस आदत से मर जाते
गई शब ख्वाब में आ के ज़हर देने वाला था
अगर सिसकी न लेता तो हम फुरसत से मर जाते 
ये दुनिया और उसके तंज ने ज़िंदा  रखा वरना फ़रिशतो की गली में तो बरकत से मर जाते 

कश्ती बना रेगिस्तान में बहा दो
अब तो समुंद्र को ये सजा दो
ऐसी हवस जब हो हश्र की फिर घर मे लगाकर आतिस हवा दो "जाने वालों से संसार नहीं रुकता
रुक जाती है धड़कन मगर दुनिया का व्यापार नहीं रुकता ।। "


जन्म और मृत्यु इन दो ध्रुवों के बीच में ही जीवन चक्र चलता है । दुनिया में आने वाले हर प्राणी को  इस दुनिया से जाना है यही कड़वा सच है । परंतु यह अंतिम विदाई किसी को अश्रुपूर्ण नेत्रों से मिलती है मिलती है और किसी को स्वार्थ भरे दिलों से ।

आज प्रतियोगिता के चौथे दिन का सफर  जीवन की इसी सच्चाई को अपने भावों और शब्दों में पिरोते हुए हम तय करेंगे ।
बारिशो का नुकसान करना पड़ता है
कश्ती में पूरा जहान करना पड़ता है
जब सितारा बनने की चाहत होती है
उससे पहले खुद को बेनाम करना पड़ता है

तुमने मुझे पा तो लिया 
संभालने में हड़बड़ी कर दी
उसने बस एक बूँद रखी थी जुदाई के बीच
मैं गुस्से में आया पूरी बारिश ज़मीन पर उतार दी

एक वक्त बाद रास्ता मोड़ना भूल जाता है
समुंद्र से नदी को जुड़ना पड़ता है
मत कैद किया करो अपने ऐश के लिए
बहुत वक्त बाद निकले तो पंछी पिंजरे से उड़ना भूल जाता है

समुंद्र समेत लेते है काँच भी मगर
मुश्किल तब जब दुनिया भी बिखरा होता है
जिसके एक दीदार के लिए एक उम्र गुजार दी
वह चेहरा थककर भी निखरा होता है
दर्द तो वो करते है जो बहुत छोटे और महीन होते है
दिखता वही है जो जख्म उभरा होता है

जरा सी एक तमन्ना है मेरी एक सूरत से मर जाते 
अगर सिर्फ साँस ली होती तो इस आदत से मर जाते
गई शब ख्वाब में आ के ज़हर देने वाला था
अगर सिसकी न लेता तो हम फुरसत से मर जाते 
ये दुनिया और उसके तंज ने ज़िंदा  रखा वरना फ़रिशतो की गली में तो बरकत से मर जाते 

कश्ती बना रेगिस्तान में बहा दो
अब तो समुंद्र को ये सजा दो
ऐसी हवस जब हो हश्र की फिर घर मे लगाकर आतिस हवा दो "जाने वालों से संसार नहीं रुकता
रुक जाती है धड़कन मगर दुनिया का व्यापार नहीं रुकता ।। "


जन्म और मृत्यु इन दो ध्रुवों के बीच में ही जीवन चक्र चलता है । दुनिया में आने वाले हर प्राणी को  इस दुनिया से जाना है यही कड़वा सच है । परंतु यह अंतिम विदाई किसी को अश्रुपूर्ण नेत्रों से मिलती है मिलती है और किसी को स्वार्थ भरे दिलों से ।

आज प्रतियोगिता के चौथे दिन का सफर  जीवन की इसी सच्चाई को अपने भावों और शब्दों में पिरोते हुए हम तय करेंगे ।