एक अकेला आदमी उम्मीद के साथ खड़ा है मैं आदतन उसके पीछे खड़ा हो रहा हूँ। न! ये उसकी, मेरी या हमारी मजबूरी नहीं है। एक अकेली आस को जिंदा और किसी के लिए चुनिंदा बने रहने के लिए कहीं ज्यादा ताक़त चाहिए! हो सकता है गलतफहमी हो टूटे मेरी बला से, किसे फिक्र है! पर मेरी साँसों के बाद! मुझे दाता से बस इतनी राहत चाहिए! जून सेशन 2012