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एक अकेला आदमी उम्मीद के साथ खड़ा है मैं आदतन उसके

एक अकेला आदमी 
उम्मीद के साथ खड़ा है
मैं आदतन उसके पीछे
खड़ा हो रहा हूँ।
न! ये उसकी, मेरी
या हमारी मजबूरी नहीं है।
एक अकेली आस को
जिंदा और किसी के लिए चुनिंदा
बने रहने के लिए
कहीं ज्यादा ताक़त चाहिए!
हो सकता है गलतफहमी हो
टूटे मेरी बला से, किसे फिक्र है!
पर मेरी साँसों के बाद!
मुझे दाता से बस इतनी राहत चाहिए! जून सेशन 2012
एक अकेला आदमी 
उम्मीद के साथ खड़ा है
मैं आदतन उसके पीछे
खड़ा हो रहा हूँ।
न! ये उसकी, मेरी
या हमारी मजबूरी नहीं है।
एक अकेली आस को
जिंदा और किसी के लिए चुनिंदा
बने रहने के लिए
कहीं ज्यादा ताक़त चाहिए!
हो सकता है गलतफहमी हो
टूटे मेरी बला से, किसे फिक्र है!
पर मेरी साँसों के बाद!
मुझे दाता से बस इतनी राहत चाहिए! जून सेशन 2012