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दिल्लगी में है सकूं मरने से अच्छा‌ है कि जी सकूं।

दिल्लगी में है सकूं मरने से अच्छा‌ है कि जी सकूं।
बोतल से छोड़ कर शराब आंखों से जाम पी सकूं।
डर नहीं है खोने का मिलने की धुन का साज हूं।
सारी ख्वाहिशें छोड़ दि अब घूंट सब्र की पी सकूं।

है दिल्लगी मेरी चाहतें मैं जिसमें ढलकर रह सकूं।
कहने से अच्छा है किसी को खुद से ही मैं कह सकूं।
अब दर्द नहीं है आंखों में मोहब्बत की मै आश हूं।
रशमे सारी छोड़ी है ताकि खुद के सपने सी सकूं।

दिल्लगी है नस-नस में अब कतरा-कतरा बह सकूं।
सुनकर सबकी बातें अब मैं खुद की चुप्पी सह सकूं।
अब रस्ता नहीं है नदियों-सा समुन्द्र के जो पास हूं।
बह गया वो सुमित पुराना अब दिल्लगी में रह सकूं।

©RS Sumit Sipper #दिल्लगी है #दिल्लगी बस #दिल्लगी है #दिल्लगी
#holdinghands
दिल्लगी में है सकूं मरने से अच्छा‌ है कि जी सकूं।
बोतल से छोड़ कर शराब आंखों से जाम पी सकूं।
डर नहीं है खोने का मिलने की धुन का साज हूं।
सारी ख्वाहिशें छोड़ दि अब घूंट सब्र की पी सकूं।

है दिल्लगी मेरी चाहतें मैं जिसमें ढलकर रह सकूं।
कहने से अच्छा है किसी को खुद से ही मैं कह सकूं।
अब दर्द नहीं है आंखों में मोहब्बत की मै आश हूं।
रशमे सारी छोड़ी है ताकि खुद के सपने सी सकूं।

दिल्लगी है नस-नस में अब कतरा-कतरा बह सकूं।
सुनकर सबकी बातें अब मैं खुद की चुप्पी सह सकूं।
अब रस्ता नहीं है नदियों-सा समुन्द्र के जो पास हूं।
बह गया वो सुमित पुराना अब दिल्लगी में रह सकूं।

©RS Sumit Sipper #दिल्लगी है #दिल्लगी बस #दिल्लगी है #दिल्लगी
#holdinghands