#कितने_बेबस है हम, ना हमें था पता.! हादसों से घिरे, तब हुआ हमको ज्ञात.! बाढ़ में हम घिरे, मौत से थे डरे.! सबके चेहरे पर डर, मौत का दिख रहा था.! हर घर में घूंसा, मौत बनकर के पानी.! दूर दूर तक भरा था, बस पानी ही पानी.! जीवन बचने की आस, नही दिख रही थी.! मौत बनके ये पानी, समेटे हुई थी.! बेबसी पर तरस, आ रही थी हमें.! #कितने_बेबस है हम, यह मुझे ज्ञात है.! #अजय57 #बाढ़