White कारों पर कार कंपनी से कई गुना ज्यादा सरकार कमाती है ! इसीलिए फुटपाथों पे धड़ल्ले से कारें पार्क की जाती हैं !! फुटपाथों पे टपरियां छुटभैये नेताओं की मौज कराती है ! जनता को सुरक्षित चल सकने की जगह ही न मिल पाती है !! देश की युवा पीढ़ी जुए सट्टे नशे पत्ते में धकेली जा रही ! धन जुटाने के लिये अपराध की ओर बढ़ती नजर आ रही !! नेताओं से साठगांठ इनके हौ हौंसले चौगुने बढ़ा रही है ! संस्कारी सुशिक्षित युवाओं को बेरोजगारी सता रही है !! क्रिकेट और मोबाइल की लत समय खा रही है ! अनचाहे फोनों की आफ़त कार्य समय पे जुल्म ढ़ा रही है !! सरकारों को जनहित से सरोकार नहीं ! पत्रकार भी अब जनहित के पैरोकार नहीं !! महंगी न्यायपालिका आम बूते से बाहर है ! न्याय प्रक्रिया अब सजे बाजार सा कारोबार है !! समय पर चुनावों का न करा पाना शर्मनाक है ! आज़ादी नाम की, गुलामी से बदतर हालात है !! बुद्धिजीवियों को सलाखों में डाल डरा रक्खा है ! आज़ादी में अग्रजों ने अंग्रेजों से ज्यादा उधम मचा रक्खा है !! एकजुटता से खड़ी हो पाये गर सारी युवा पीढ़ी ! तभी सम्भव है चढ़ पाना आज़ादी की मंजिल की सीढ़ी !! -आवेश हिंदुस्तानी 24.09.2024 ©Ashok Mangal #sad_quotes #AaveshVaani #JanMannKiBaat