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धूप को भी छाव समझ,चलता रहा हूँ मैं, बर्फ बन, धीरे-

धूप को भी छाव समझ,चलता रहा हूँ मैं,
बर्फ बन, धीरे-धीरे पिघलता रहा हूँ मैं,
जब से किया है ,नाम तेरे मैंने जिंदगी,
तब से, रोज अप्रैल फूल बनता रहा हूँ मैं। अप्रैल फूल
धूप को भी छाव समझ,चलता रहा हूँ मैं,
बर्फ बन, धीरे-धीरे पिघलता रहा हूँ मैं,
जब से किया है ,नाम तेरे मैंने जिंदगी,
तब से, रोज अप्रैल फूल बनता रहा हूँ मैं। अप्रैल फूल
vickyyadav9005

Vicky Yadav

New Creator