धूप को भी छाव समझ,चलता रहा हूँ मैं, बर्फ बन, धीरे-धीरे पिघलता रहा हूँ मैं, जब से किया है ,नाम तेरे मैंने जिंदगी, तब से, रोज अप्रैल फूल बनता रहा हूँ मैं। अप्रैल फूल