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उड़ना अब भूल चुका हूँ, एक कैद परिन्दा समझो l साँसो

उड़ना अब भूल चुका हूँ, एक कैद परिन्दा समझो l 
साँसों के चलने भर से, मुझको न ज़िन्दा समझो ll 

थोड़ी सी कर्ज में गुजरी, थोड़ी सी फर्ज में गुजरी,
जितनी बाकी है उसको, दर्द का पुलिंदा समझो ll 

तकदीर का जाने कैसा, मुझसे ये बैर बंधा है,
जितने भी जख्म दिये हैं, हर जख्म चुनिन्दा समझो ll

बेदर्द ज़माने का ये, कैसा दस्तूर रहा है,
जितनी तारीफ मिली है, उसको भी निन्दा समझो ll 

उड़ना अब भूल चुका हूँ, एक कैद परिन्दा समझो l 
साँसों के चलने भर से, मुझको न ज़िन्दा समझो ll 
#Anil_kr..✍️@Selfwritten उड़ना अब भूल चुका हूँ, एक कैद परिन्दा समझो l 
साँसों के चलने भर से, मुझको न ज़िन्दा समझो ll 

थोड़ी सी कर्ज में गुजरी, थोड़ी सी फर्ज में गुजरी,
जितनी बाकी है उसको, दर्द का पुलिंदा समझो ll 

तकदीर का जाने कैसा, मुझसे ये बैर बंधा है,
जितने भी जख्म दिये हैं, हर जख्म चुनिन्दा समझो ll
उड़ना अब भूल चुका हूँ, एक कैद परिन्दा समझो l 
साँसों के चलने भर से, मुझको न ज़िन्दा समझो ll 

थोड़ी सी कर्ज में गुजरी, थोड़ी सी फर्ज में गुजरी,
जितनी बाकी है उसको, दर्द का पुलिंदा समझो ll 

तकदीर का जाने कैसा, मुझसे ये बैर बंधा है,
जितने भी जख्म दिये हैं, हर जख्म चुनिन्दा समझो ll

बेदर्द ज़माने का ये, कैसा दस्तूर रहा है,
जितनी तारीफ मिली है, उसको भी निन्दा समझो ll 

उड़ना अब भूल चुका हूँ, एक कैद परिन्दा समझो l 
साँसों के चलने भर से, मुझको न ज़िन्दा समझो ll 
#Anil_kr..✍️@Selfwritten उड़ना अब भूल चुका हूँ, एक कैद परिन्दा समझो l 
साँसों के चलने भर से, मुझको न ज़िन्दा समझो ll 

थोड़ी सी कर्ज में गुजरी, थोड़ी सी फर्ज में गुजरी,
जितनी बाकी है उसको, दर्द का पुलिंदा समझो ll 

तकदीर का जाने कैसा, मुझसे ये बैर बंधा है,
जितने भी जख्म दिये हैं, हर जख्म चुनिन्दा समझो ll