कोई भीकिसी के लिए नहीं जीता,और कोई हमारे लिए भी नहीं जीताहैं। सब अपने मतलब के रिश्ते हैं,और हरकोई मतलब लिए ही जीता है। प्यास लगी हो अगर किसी को पानी तो खूब पिलाता है। पानी पिलाने से पहले ख़ुद अपनी प्यास बुझाता है। ये यह सांसारिक बाजार है यहां हर कोई व्यापार करने आता है। जिसने भी क्रय विक्रय किया उसका हिसाब करके जाता है जिसका भी हिसाब पहले हुआ वह पहले और जिसका बाद में होता है। वो बाद में और जिसका बाकी है तबतक वहीं रह जाता है। ये कर्मों की दुनिया है जो जैसे कैसे भी करके चुकाता है। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma समझने वाले समझ जाते हैं #friends