मैं पुरुष हूँ तो क्या? मैं रो नही सकता?? जीवन की दौड़ में, प्रतियोगिता की होड़ में, सामाजिक गठजोड़ में, जज्बात मेरे भी उमड़ आते हैं चिंता मुझे भी होती है, चिंतित व्यथित मन से, मैं सो नही सकता।। मैं पुरुष हूँ तो क्या? मैं रो नही सकता?? व्यथित मन के उद्गार, जब बहते हैं बन अश्रुधार, मन हल्का हो जाता है, दर्द भी खो जाता है, कुछ पल के लिए ही सही, शान्त चित्त हो जाता है। क्या शान्ति पाने का हक, मेरा हो नही सकता।। मैं पुरुष हूँ तो क्या? मैं रो नही सकता?? _raushan singh #Waterfall#nojoto #hindi_poetry #qoutes #sharyi #Hindhipoetry #writeaway