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बुझने लगी हो आँखे तेरी, चाहे थमती हो रफ़्तार उखड़

बुझने लगी हो आँखे तेरी, चाहे थमती हो रफ़्तार उखड़ रही हो साँसे तेरी, दिल करता हो चित्कार, दोष विधाता को ना देना, मन में रखना तू ये आस, 'रण विजयी' बनता वही, जिसके पास हो ‘आत्मविश्वास'

©Mastaniactr ssp
#STUDY_TABLE
बुझने लगी हो आँखे तेरी, चाहे थमती हो रफ़्तार उखड़ रही हो साँसे तेरी, दिल करता हो चित्कार, दोष विधाता को ना देना, मन में रखना तू ये आस, 'रण विजयी' बनता वही, जिसके पास हो ‘आत्मविश्वास'

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