GIta jayanti अब तो गीदड़ भी शेरों की तरह दहाड़ने लगे हैं, मेंढक भी कुंए से बाहर आने लगे हैं। शायद भूल गए होंगे,सिंह की दहाड़ और सर्प की फनकार, इसीलिए तो आज,कंकड़ भी चट्टानों से टकराने लगे हैं।। ©~ अग्निवंशी मंगल प्रताप चौहान (राबर्ट्सगंज सोनभद्र) #NojotoQuote अब तो गीदड़ भी........ मंगल प्रताप चौहान