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हे ईश्वर तेरे नाम पे, क्या ढोंग रचाया जाता है। तरह

हे ईश्वर तेरे नाम पे, क्या ढोंग रचाया जाता है।
तरह-तरह के प्रपंच बेच,"हर धर्म में" पुण्य कमाया जाता है ।।
कुछ उदाहरण-
1. कौए को, पितरों का प्रतीक बताकर भोजन कराते हैं, खुद को कौआ जो बोल दे कोई तो आग बबूला हो जाते हैं।
2. प्रभु ही जीवन दाता है, मस्जिद चर्च में गला फाड़ फाड़ के चिल्लाया जाता है। फिर ईद बकरीद क्रिसमस को क्यों बेजुबां के खून से रंगा जाता है?
3. नवरात्र के नौ दिन ना बाल बनवायंगे, ना मदिरा माँस खायेंगे, ना जाने इन नौ दिनों के बाद कौन सा ईश्वर बेजुबां की हत्या की इजाजत दे जाता है?
4. ये सिर्फ ढोंग है हर धर्म का, देखोगे तो इसमें छुपी खुद की भूक, अय्याशी है। फिर भी हर धर्म के पंडित कहते हैं, हमारे धर्म में आज़ादी है। 
5. नहीं मानता ऐसे प्रभु को जो पाप करवा के खुश होते हैं, मैं तो मानू ऐसे प्रभु को जो सिर्फ आराधना से खुश होते हैं।
6. हकीकत में मनुष्य सिर्फ दिमागी बुखार में उलझा है,और खुद को कहता पढ़ा लिखा दिमागदार सुलझा है।
7. अगर कोई तुम पे वार करे तो निश्चित तुम प्रहार करो,
पर महज अपने पेट और अय्याशी के खातिर, बेजुबां पे ना अत्याचार करो। 
8. हर धर्म के ढोंगी पंडितों के द्वारा सबको दिमागी रूप से डराया जाता है, तुम ये नहीं करोगे तो ये होगा, वो नहीं करोगे तो वो होगा। अगर उसपे सच में यकीन है, तो यकीन मानों कुछ ना होगा। 
धर्म वो नहीं जिसमें ढोंग की परिभाषा हो
धर्म वो है जिसमें सच्ची निष्ठा आशा हो ।।
🍁विकास कुमार🍁 धर्म वो नहीं जिसमें ढोंग की परिभाषा हो
धर्म वो है जिसमें सच्ची निष्ठा आशा हो ।।
हे ईश्वर तेरे नाम पे, क्या ढोंग रचाया जाता है।
तरह-तरह के प्रपंच बेच,"हर धर्म में" पुण्य कमाया जाता है ।।
कुछ उदाहरण-
1. कौए को, पितरों का प्रतीक बताकर भोजन कराते हैं, खुद को कौआ जो बोल दे कोई तो आग बबूला हो जाते हैं।
2. प्रभु ही जीवन दाता है, मस्जिद चर्च में गला फाड़ फाड़ के चिल्लाया जाता है। फिर ईद बकरीद क्रिसमस को क्यों बेजुबां के खून से रंगा जाता है?
3. नवरात्र के नौ दिन ना बाल बनवायंगे, ना मदिरा माँस खायेंगे, ना जाने इन नौ दिनों के बाद कौन सा ईश्वर बेजुबां की हत्या की इजाजत दे जाता है?
4. ये सिर्फ ढोंग है हर धर्म का, देखोगे तो इसमें छुपी खुद की भूक, अय्याशी है। फिर भी हर धर्म के पंडित कहते हैं, हमारे धर्म में आज़ादी है। 
5. नहीं मानता ऐसे प्रभु को जो पाप करवा के खुश होते हैं, मैं तो मानू ऐसे प्रभु को जो सिर्फ आराधना से खुश होते हैं।
6. हकीकत में मनुष्य सिर्फ दिमागी बुखार में उलझा है,और खुद को कहता पढ़ा लिखा दिमागदार सुलझा है।
7. अगर कोई तुम पे वार करे तो निश्चित तुम प्रहार करो,
पर महज अपने पेट और अय्याशी के खातिर, बेजुबां पे ना अत्याचार करो। 
8. हर धर्म के ढोंगी पंडितों के द्वारा सबको दिमागी रूप से डराया जाता है, तुम ये नहीं करोगे तो ये होगा, वो नहीं करोगे तो वो होगा। अगर उसपे सच में यकीन है, तो यकीन मानों कुछ ना होगा। 
धर्म वो नहीं जिसमें ढोंग की परिभाषा हो
धर्म वो है जिसमें सच्ची निष्ठा आशा हो ।।
🍁विकास कुमार🍁 धर्म वो नहीं जिसमें ढोंग की परिभाषा हो
धर्म वो है जिसमें सच्ची निष्ठा आशा हो ।।