बोलो ना किधर जाऊँ Please read caption अंतस में व्याकुल इक पीड़ा, कहने या सहने की दुविधा। उलझन ये सुलझाऊँ तो , भीतर से झुलस जाऊँ। बोलो न किधर जाऊँ? मकड़ जाल सा उलझा जीवन,