कोई ज़रूरी नहीं प्रतीक्षा करती रहो मुहूरत की चाहो तो बेमौसम बारिश जैसी भी आ सकती हो --प्रशान्त मिश्रा बेमौसम बारिश जैसी भी आ सकती हो