समझने में ही बीत गई आधी जिंदगी जानवरों से ज्यादा जुदा कुछ ना लगी ये जिंदगी.. कहने को तो मर्ज़ी से अपनी ही चलती रही हैं.. मगर अगला पल साथ निभायेगी जिन्दगी.. ये ही ना पता था.. नंगा रोता बंद मुठ्ठी ले आया था होठों पर रहे मुस्कुराहट दिल में सुकूँ मिले जो मुझसे शांत चित्त हर्षित मन हो जाए उसका ना दिल दुखाने की वजह बनूं किसी का बस इतना ही हो जाए... बहुत है.. अंत में ६*३ वर्ग फीट की जमीं और कफन के कपड़ा के जुगाड में ही बीत गई जिंदगी.. नमस्कार लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳