हार हार से डरना कैसा, कामयाबी की यही तो पहली सीढ़ी है। हताश क्यूं,उदास क्यूं दूर क्यूं देख रहा मंजिल तेरे पास ही है। चल उठ,हिम्मत कर आस का हाथ धर यही तो जिन्दगी है। हार से डरना कैसा