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बटोरता फिरता है निशानी बस यूँही दिल की फ़ितरत महफ

बटोरता फिरता है निशानी बस यूँही 
दिल की फ़ितरत महफ़ूज रखने को
छूटती नहीं माया इतनी आसानी से
बंधन है जनाब, लेकर जाये भी कहाँ 
 बंधन
बटोरता फिरता है निशानी बस यूँही 
दिल की फ़ितरत महफ़ूज रखने को
छूटती नहीं माया इतनी आसानी से
बंधन है जनाब, लेकर जाये भी कहाँ 
 बंधन