भारत का सरकारी त्यौहार बहुत कुछ सस्ता होने वाला है, सीधा अब रस्ता होने वाला है, मंदिर-मस्जिद फिर उछलेंगे, जातियों के भी चिठ्ठे खुलेंगे, पत्रकारों का भी मनोरंजन होगा, अब जाके सवालों पे मंथन होगा, बयानों के आर पार,तीर चलेंगें, जुबानों से यह "शूरवीर" लड़ेंगे, तरह तरह के तबके घोषित होंगे, आदोंलन जो नए नए शोषित होंगे, कोई "भक्त" कोई "चमचा" कोई "आपिया", कोई वामपंथ के स्टैलिन का सगा "ढपलिया" बोली लगेगी चुनावी घोषणापत्रों पर, फिर पक्की सडकें,फिर पक्के घर, कभी संत केजरीवाल के चमत्कार, काम किए एक तो लाख गुना प्रचार, बहुत मजहब और धर्म आहत होंगे, "यूपिया" चुनाव है ! बडे घातक होंगे, राम को चाहने वाले भी मर्यादा भूलेंगे, अल्लाह के बंदे भी तो नफरत वसूलेंगे, नई कहानी,नया इतिहास,नए दर्द सुनाएगा, कोई "जरमनी" में बैठे देश का हाल बताएगा सोच बदल दी जाएगी जो दल बदले जाएंगे ! जो अपने सिद्धांतों के ना हुए देश चलाएंगे? #politics #politicians #elections #hindipoetry #yqbaba #yqdidi #politicalparties