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टूटे हुए शाखों पर कहां फूल खिलते है, बिछड़े, हुए ल

टूटे हुए शाखों पर कहां फूल खिलते है,
बिछड़े, हुए लोग, फिर कहां, मिलते है.

किसी से कोई उम्मीद न रहे तो अच्छा,
वक्त के पहिए अपनी मर्जी से चलते है.

कोई किसी का साथ देता नहीं जहां मे,
अंधेरे में, अपने साए, भी तो, ढलते है.

किसे दोष दे, अपनी बरबादी के लिए,
सारे अपनी ही लगाई आग मे जलते है.

प्यार, वफ़ा, खुलूस कुछ नहीं जहां मे,
वक्त के साथ, सारे किरदार बदलते है.

©Mansi #मानसी #Nojoto
टूटे हुए शाखों पर कहां फूल खिलते है,
बिछड़े, हुए लोग, फिर कहां, मिलते है.

किसी से कोई उम्मीद न रहे तो अच्छा,
वक्त के पहिए अपनी मर्जी से चलते है.

कोई किसी का साथ देता नहीं जहां मे,
अंधेरे में, अपने साए, भी तो, ढलते है.

किसे दोष दे, अपनी बरबादी के लिए,
सारे अपनी ही लगाई आग मे जलते है.

प्यार, वफ़ा, खुलूस कुछ नहीं जहां मे,
वक्त के साथ, सारे किरदार बदलते है.

©Mansi #मानसी #Nojoto