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उतर गराईयों में पहुंचा, सरोवर के जब उस छोर बिखरा

उतर गराईयों में पहुंचा, 
सरोवर के जब उस छोर
बिखरा हुआ था सोम, 
धारा प्रवाह था जिस जिस ओर

पाकर सुधा ज्ञान प्रवाह, 
सब कुछ जैसे दिया हो भुला
महक रहा था तन मन मेरा, 
खुशबू को सांसो में समा

हर पल किया मैंने आभास,
उसकी ही शीतल छाया
जैसे हर एक सांस को, 
धड़कन की मिली मंजूरी उसी में हो समाया

सुंदर सा एक ख्वाब, 
खो गया था जिसमें मै बेहिसाब
बुनकर कई उम्मीद,
चला जैसे कश्ती पर होकर सवार

दुर्लभ तन को मिलती जब रीत मन की, 
होता तब जीवन में भोर
ले गया मेरा दिल चुराकर, 
कोई दिलवाला चित्त चोर

©👦Mysterious Words🧒 #Inspiration 
#thought 
#quates 
#Feeling 
#Motivation
उतर गराईयों में पहुंचा, 
सरोवर के जब उस छोर
बिखरा हुआ था सोम, 
धारा प्रवाह था जिस जिस ओर

पाकर सुधा ज्ञान प्रवाह, 
सब कुछ जैसे दिया हो भुला
महक रहा था तन मन मेरा, 
खुशबू को सांसो में समा

हर पल किया मैंने आभास,
उसकी ही शीतल छाया
जैसे हर एक सांस को, 
धड़कन की मिली मंजूरी उसी में हो समाया

सुंदर सा एक ख्वाब, 
खो गया था जिसमें मै बेहिसाब
बुनकर कई उम्मीद,
चला जैसे कश्ती पर होकर सवार

दुर्लभ तन को मिलती जब रीत मन की, 
होता तब जीवन में भोर
ले गया मेरा दिल चुराकर, 
कोई दिलवाला चित्त चोर

©👦Mysterious Words🧒 #Inspiration 
#thought 
#quates 
#Feeling 
#Motivation